Abhishek Rathore

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राग रागिनी आयाम द्वार


दिल्ली यूनिवर्सिटी का कालेज अपने आप मे जाना माना कालेज जाना जाता है। उसमे आर्ट क्लासेस मे हिस्ट्री की क्लास चल रही है। प्रोफेसर राव अपने विषय मे बहुत माहिर हैं उन्हें एक बोरिंग विषय को कैसे मज़ेदार तरीक़े से पढ़ाया जाता है यह कला बड़े अच्छे से आती है।


  विषय चल रहा था  'राजस्थान और उनके किले और हवेलियां '। प्रोफेसर राव बड़े ही अच्छे तरीके से आमेर के किले, जयगढ़ का किला ,उमेद भवन, जयपुर फोर्ट और भी बहुत से किलों और हवेलियों के विषय मे बताते जा रहे थे।फिर बात भानगढ़ के किले की होने लगी। सारी क्लास मे उत्सुकता जाग लगी और वो और बहुत कुछ जानने के इच्छुक होने लगे। प्रोफेसर राव आगे बता रहें थे कि भानगढ़ अलवर जिले मे है यह किला आमेर के राजा भगवंत दास ने अपने छोटे बेटे माधो सिंह के लिए बनवाया था।यह अपनी भूतहा गतिविधियों के लिए संसार भर मे प्रसिद्ध है। पूरी क्लास मे जैसे सन्नाटा सा छा जाता है।


      इधर शिखर, सोहन, तान्या,और कपाली ये चार छात्र अपनी ही दुनिया में गुम थे वैसे कपाली और शिखर का पसंदीदा विषय चल रहा था वे दोनो बड़े गौर से लैक्चर सुन रहे थे। पर सोहन और तान्या अपने आप मे ही मग्न थे। सोहन तान्या की तरफ एक पर्ची फेंकता है जब वह खोलकर पढ़ती है तो लिखा था


    "चलोगी ।"


  तान्या ने इशारा करके पूछा,"कहां"


  तभी सोहन ने तान्या को इशारे से केंटिन मे मिलने को कहा।


  जब सोहन इशारा कर रहा था तभी प्रोफेसर राव की नज़र उस पर पड़ गयी, और उनको बस यही पसंद नहीं था के जब वो क्लास ले रहें हों तब कोई क्लास को डिस्टर्ब करे,..  प्रोफेसर राव ने ये देखकर दोनों को क्लास को डिस्टर्ब करने के कारण बाहर कर दिया ।

लेकिन दोनों के चेहरों पर स्माइल थी, और उन्होंने शिखर और कपाली की तरफ गर्व से ऐसे देखा जैसे उन्होंने बहुत मुश्किल एग्जाम को बहुत जल्दी खत्म कर लिया हों..


दोनों जल्दी से बाहर आकर एक लम्बी सांस लेकर बोले,


  "शुक्र है बोरिंग क्लास से पीछा छूटा।"


उन चारों की दोस्ती कॉलेज में आते ही शुरू हो गयी थी और अब ये हाल था के एक दूसरे के बिना ज्यादा देर तक रह नहीं पाते थे, कॉलेज में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, हालांकी उनके कैंटीन के खर्चे बहुत ज्यादा थे जिसकी वजह से हमेशा हमेशा उन पर कैंटीन का उधार रहता था, 


  ये दोनों कैंटीन मे आकर जूस का आर्डर ही देते है…

 तभी पीछे पीछे शिखर और कपाली दोनों आकर उन दोनों की बगल वाली सीट पर जम गये।


  "क्या यार ! तुम दोनों हमें उस लेक्चर लेने के लिए छोड़ आये माना हमारा पसंदीदा विषय चल रहा था पर बाद मे प्रोफेसर राव बोर करने लगे थे। हमे क्लास मे पीछे छोडकर खुद यहां आकर मौज कर रहे हो। हमसे रहा नहीं गया सौ हम भी आ गये..


बड़े दुष्ट हो तुम अकेले जूस पी रहे हो, । " कपाली अपने बड़े बड़े दांतों को निपोरता हुआ बोला। और उसने तान्या से जूस छीन लिया, 


  तान्या हंसते हुए बोली," तुम भी आपस मे बात चीत कर लेते तुम भी क्लास से बाहर हो जाते।"


इधर शिखर काफी देर से चुप बैठा था वह उन बातो में हिस्सा नहीं ले रहा था, कपाली ने ये देखा और तभी कपाली बोला , "क्यों शिखर तुझे क्या हुआ तू क्या सोच रहा है।"


तब शिखर बोला, "यार तुझे क्या लगता है ये भूत वूत होते भी है या कोरी कल्पना मात्र है। आज प्रोफेसर राव जो भानगढ़ के किले के विषय मे बता रहे थे क्या वो सच है।"


तभी सोहन तान्या की तरफ देखते हुए बोला, "यार ! तू रात मे इसे देख ले बिल्कुल भानगढ़ की भूतनी जैसी दिखाई देगी। तभी तान्या सोहन को धक्का देकर बोली ,"अगर मैं भूतनी हूं तो ये कोन सा भूत से कम है।"

सभी ठहाका लगा कर हंसते है।…..




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14 Comments

Anjali korde

10-Aug-2023 09:46 AM

Nice

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Babita patel

04-Aug-2023 05:47 PM

Nice

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HARSHADA GOSAVI

03-Jul-2023 03:06 PM

nice

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